गोवत्स द्वादशी
2020 में गोवत्स द्वादशी 12.11.2020 को पड़ रहा है ।
यह त्योहार कार्तिक कृष्ण पक्ष द्वादशी को आता है इस दिन गायों और बछड़ों की सेवा की जाती है इस दिन प्रातः काल स्नानादि करके गाय बछड़ों का पूजन करें फिर उनको दूध से बने पदार्थ खिलाए इस दिन गाय आदि का दूध गेहूं की बनी वस्तुएं और कटे फल नहीं खाना चाहिए इसके बाद गोवत्स द्वादशी की कहानी सुनकर ब्राम्हण को फल देना चाहिए इसकी कथा इस प्रकार है –

बहुत समय पूर्व भारत में स्वर्ण पूर्व नाम का नगर में देवदानी राजा राज्य करता था उसके सब अच्छा एक गाय और एक भैंस थी राजा के दो रानियां थी सीता और गीता सीता भैंस से सहेली के समान तथा गीता गाय बछड़े से सहेली और पुत्र सा प्यार करती थी एक दिन भैंस सीता से बोली है रानी गाय बछड़ा होने से गीता रानी मुझे ईर्ष्या करती है सीता ने कहा यदि ऐसी बात है तो मैं सब ठीक कर लूंगी सीता ने उस दिन गाय के बछड़े को काटकर गेहूं की राशि में गाड़ दिया इसका किसी को पता ना चला राजा जब भोजन करने बैठा तब मास की वर्षा होने लगी चारों ओर महल के अंदर मौत और खून दिखाई देने लगे जो भोजन की थाली थी उसका सब भोजन मल मूत्र हो गया ऐसा देखकर राजा बहुत चिंतित हुआ उसी समय आकाशवाणी हुई कि हे राजन तेरी रानी सीता ने गाय के बछड़े को काटकर गेहूं की राशि में दबा दिया है इसी से यह सब कुछ हो रहा है कल गोवत्स द्वादशी है इसीलिए भैंस को राज्य से बाहर करके गाय और बछड़े की पूजा करो दूध तथा कटे फल नहीं खाना इससे तेरा पाप नष्ट हो जाएगा और बछड़ा भी जीवित हो जाएगा सायं काल जब गाय आई तब राजा पूजा करने लगा जैसे ही मन में बड़े को याद किया वैसे ही बचना गेहूं के ढेर से निकल कर आ गया यहां देख राजा प्रसन्न हो गया उसी समय से अपने राज्य में आदेश कर दिया कि सभी लोग गोवत्स द्वादशी का व्रत करें।