मकर संक्रांति हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक प्रमुख त्योहार है जब पौष मास में सूर्य मकर राशि पर आता है तभी मकर संक्रांति होती है मजे संक्रांति हर महीने में होती है परंतु कर्क मकर राशियों पर सूर्य जाने से विशेष महत्व है यह संक्रमण क्रिया छह छह महीने के अंतर से होती है मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं इसके पूर्व दक्षिणायन रहते हैं सूर्य के उत्तरायण स्थित होने पर दिन बड़े तथा रातें छोटी होती है दक्षिणायन रहने पर आती बड़ी बात दिन छोटा होता है अंग्रेजी तिथि के अनुसार मकर संक्रांति हमेशा 14 जनवरी को ही होती है इस दिन गंगा स्नान तथा ब्राह्मण, भिक्षुक को यथाशक्ति दान देना चाहिए दक्षिण भारत में इस पर्व को ‘पोंगल’ कहा जाता है।
पोंगल
वैसे तो भारत के अनेक क्षेत्रों में इसे अपने तरीके से मनाया जाता है ठीक उसी प्रकार दक्षिण भारत में इसे पोंगल कहते है यह आंध्रप्रदेश, केरल, और कर्नाटक में संक्रांति और तमिलनाडु में पोंगल कहते है।

लोहड़ी पर्व
पंजाब ,हरियाणा में इसी समय फसल कटाई की जाती है और मकर संक्रांति को लोहड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है ।


बिहू
ठीक इसी प्रकार असम में इसे बिहू का नाम दिया गया है जहाँ बहुत ही धूमधाम से बिहू त्यौहार मनाया जाता है।
दान का पर्व
कई मान्यता के अनुसार इसे दान का पर्व भी कहा गया है इस दिन सुबह पवित्र नदियों में स्नानादि करके तिल, गुड़,खिचड़ी,को राशि के अनुसार दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है
विशेष पकवान
इस दिन अलग अलग प्रकार के पकवान अपने मान्यता के अनुसार बनाये जाते है परंतु दाल और चावल की खिचड़ी ही प्रमुख मानी गयी है और घी के साथ ही यह खिचड़ी खायी जाती है और तिल और गुड़ का लड्डु बनाया जाता है।

पतंगबाजी
इस दिन विशेष रूप से पतंग उड़ाया जाता है कई स्थानों पर इस दिन पतंग उड़ाने की प्रतियोगिता भी रखी जाती है ।